देहरादून। सर्द मौसम के बीच उत्तराखण्ड में राजनैतिक सरगर्मियां शुरू हो गई है। आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनैतिक दलों ने त्रिवेन्द्र सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। तमाम राजनैतिक दलों के नेताओं का उत्तराखण्ड दौरा शुरू हो चला है। राजनेता अपने-अपने दल के संगठनों को मजबूत करने को जनसभा, प्रदर्शन, घेराव और जनसम्पर्क कर सत्ताधारी भाजपा को घेरने में जुटे हुए हैं।
इसी क्रम में कांग्रेस ने उत्तराखण्ड में बेरोजगारी के मुददे पर सोमवार को विधानसभा का घेराव किया। घेराव करने से पूर्व स्थानीय बन्नू स्कूल मैदान में कांग्रेस ने जनसभा का आयोजन किया। इस दौरान कांग्रेस नेताओं ने सत्ताधारी दल भाजपा पर आरोप लगाए। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रदेश में युवा रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं। किसान केन्द्र की दमनकारी कानूनों से क्षुब्ध हैं। भाजपा ने किसान मजदूरों, नौजवानों सभी के साथ छल किया है। और भाजपा कोे हर छल का हिसाब देना होगा।
कांग्रेस का कहना है जो सरकार युवाओं को रोजगार नही दे सकती उसे कुर्सी पर बने रहने का भी कोई हक नही है। इस सभा में कांग्रेस उत्तराखण्ड प्रभारी देवेन्द्र यादव, पूर्व मुख्यमत्री हरीश, रावत, उत्तराखण्ड कांग्रेस के अध्यक्ष प्रीतम सिंह, वरिष्ठ नेता किशोर उपाध्याय ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। सत्ता से जूझ रही कांगे्रस भाजपा सरकार को घेरने का कोई मौका गंवाना नहीं चाहती। गौरतलब है कि सोमवार से उत्तराखण्ड का विधानसभा सत्र शुरू हो गया है। हालांकि कोविड-19 के प्रकोप के चलते विधानसभा सत्र तीन दिन ही चलेगा।
युवा कांग्रेस की अगुवाई में चल रहे इस विधानसभा घेराव में प्रदेश के अंदर गुटों में बंटी कांग्रेस ने एकता दिखाना का पूरा प्रयास किया। इस बार कांग्रेस ने राज्य की त्रिवेन्द्र सरकार के खिलाफ बेरोजगारी को प्रमुख मुद्दा बनाया है। हालांकि राजनीतिक जानकार बताते हैं कि उत्तराखण्ड में विपक्ष मुद्दाविहीन है। सत्ता से बेदखल होने के बाद पिछले सालों में कांग्रेस में कोई नेता नजर नहीं आया। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ही अपनी माल्टा और काफल पार्टी कार्यक्रमों के जरिए कभी-कभार सुर्खियां बटोरते नजर आये।