देहरादून। केदार नाथ विधायक मनोज रावत ने विधान सभा में उत्तराखण्ड के सूदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में बदहाल राज्य परिवहन सेवाओं को लेकर विधान सभा में आवाज उठाई। विधायक मनोज रावत ने तारांकित प्रश्न के जरिये विधान सभा में ये सवाल उठाया। केदारनाथ विधायक ने सवाल किया कि सूदूरवर्ती पर्वतीय जिलों से देहरादून, दिल्ली, रुड़की, हरिद्वार, हल्द्वानी नैनीताल और दिल्ली के लिए उत्तराखण्ड परिवहन निगम की कितनी बसें संचालित हैं? जिसके जवाब में विभागीय मंत्री यशपाल आर्य ने जवाब दिया है इस मार्ग मार्गों पर कुल 310 बसें संचालित है।
विधायक रावत ने प्रश्न पूछा कि सूदूरवर्ती पर्वतीय क्षेत्र के कस्बे जो नगर पंचायत स्तर के है क्या ये सभी राज्य परिवहन निगम के सेवा से जुड़ चुके हैं? जिसके जवाब में विभागीय मंत्री ने जवाब दिया कि राज्य में नगर पंचायत स्तर के कुल 42 कस्बों में से 36 कस्बे राज्य के परिवहन निगम की सेवा से जुड़ चुके हैं।
युवा विधायक मनोज रावत ने सवाल किया कि जो कस्बे राज्य परिवहन निगम की सेवा से अभी तक नहीं जुड़े हैं उन कस्बो को सरकार राज्य परिवहन निगम की सेवा से कब तक जोड़ेगी? इस के जवाब में विभागीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान में परिवहन निगम में छोटी बसों की संख्या सीमित है, जो की पर्वतीय मार्गों में संचालित है। छोटी बसें सीमित मात्रा में होने के चलते नये पर्वतीय मार्गों पर सेवाये देना संभव नहीं हो पा रहा है। भविष्य में नई छोटी बसे प्राप्त होने के बाद ही राज्य के अन्य सुदूर क्षेत्रों में उत्तराखण्ड परिवहन निगम की नई परिवहन सेवाओं पर विचार किया जाएगा।
केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने फेसबुक के जरिये बताया कि पर्वतीय मार्गों में उत्तराखण्ड परिवहन निगम की यातायात व्यवस्था बदहाल है। स्थानीय निवासियों को दिल्ली, देहरादून, हल्द्वानी, रामनगर तथा दूसरे स्थानों में जाने के लिए कई-कई बसें बदलनी पड़ती है। पर्वतीय मार्गों में नई बस चलाने के लिए सरकार के पास धन नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कम से कम सरकार को पर्वतीय मार्गों में यातायात व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए जीएमओयू, टीजीएमओयू और केएमओयू को तो नये मार्गों पर चलने की अनुमति देनी चाहिए।