देहरादून। सेवानिवृत सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी महिपाल सिंह रावत ने सरकार पर सेवा शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। उन्होंने 11 जनवरी से लेखा परीक्षा देहरादून में आमरण अनशन पर बैठने का ऐलान किया है।
महिपाल सिंह रावत ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 74 में साफ कहा गया है कि उत्तर प्रदेश से उत्तराखण्ड को आवंटित कार्मिकों की सेवा शर्त किसी भी दशा में मूल राज्य से कम नहीं होेगी। उत्तराखण्ड में निदेशक लेखा परीक्षा की ओर से भी इस आदेश को लागू करने की संस्तुति की गई है। उन्होंने कहा कि मेेरे और मेरे साथियों के बार-बार अनुरोध के बाद भी उत्तराखण्ड शासन ने यह आदेश लागू नहीं किया।
उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन की ओर से किये जा रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी हो गया है। रावत के मुताबिक वर्ष 2014 में मेरे सहित 10 सहायक लेखा परीक्षा अधिकारियों ने जिला लेखा परीक्षा अधिकारी को डीपीसी के लिए पत्रावली दी गई, लेकिन शासन प्रशासन ने इस पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की। इसके बाद 10 लोग हाईकोर्ट की शरण में गये। कोर्ट ने 2018 में फैसला सुनाया, तब तक पांच लोग सेवानिवृत हो चुके थे। जिनको पदोन्नति मिली वह चार वर्ष विलम्ब से थी। पांच लोग शासन की लापरवाही के कारण पदोन्नति से वंचित हो गये।