देहरादूनः गैरसैंण को अगर सही मायनों में किसी ने गले लगाया तो वह त्रिवेंद्र सिंह रावत ही हैं। गैरसैंण को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद से राज्य सरकार गैरसैंण के विकास को लेकर भी लगातार आगे बढ़ रही है। राज्य स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण के चरणबद्ध विकास को लेकर जो रोडमैप दिखाया था, उस पर सरकार अब धीरे-धीरे आगे भी बढ़ने लगी है। गैरसैंण में कार्मिकों के लिए आवास के लिए करीब पांच करोड़ रूपए स्वीकृत कर सीएम त्रिवेंद्र ने स्पष्ट संदेश दिया है कि गैरसैंण के विकास को लेकर उन्होंने जो घोषणा और वायदे किये हैं, वे केवल हवा-हवाई नहीं है। सरकार गैरसैंण के विकास को लेकर पूरी गंभीर है।
गैरसैंण उत्तराखण्ड की जनभावनाओं से जुड़ा मुद्दा रहा है। पहाड़ की राजधानी पहाड़ पर हो, ऐसी परिकल्पना राज्य गठन के बाद से ही की जाती रही, लेकिन राजनेताओं ने इस पर राजनीति तो खूब की लेकिन गैरसैंण को उसका हक देने में हमेशा आनाकानी ही करते रहे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र जब सत्ता में आए तो उन्होंने जनभावनाओं को समझा। उन्होंने तब कहा था कि प्रदेश वासियों की भावनाओं का सम्मान जरूर किया जाएगा। और 4 मार्च 2020 को वह दिन आया जब गैरसैंण को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया।
इस घोषणा को करते वक्त मुख्यमंत्री खुद बेहद भावुक नजर आए तो गैरसैंण में मौजूद तमाम महानुभाव और आमजन में खुशी का माहौल छा गया। बहरहाल, मुख्यमंत्री ने इसी दिन साफ कर दिया था कि सरकार के इस फैसले के नतीजे दीर्घकालिक होंगे और राज्य के विकास की यात्रा और राज्य के भविष्य पर इसकी छाया सदैव पड़ती रहेगी। प्रदेश की जनता इसे महसूस करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि इसका असर बहुत व्यापक होगा और दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए पहुंच बनाना थोड़ा आसान होगा।
बहरहाल, मुख्यमंत्री यहीं नहीं रुके। गैरसैंण के विकास को लेकर उनके द्वारा समय-समय पर गैरसैंण के दौरे किए जाते रहे। 15 अगस्त को उन्होंने पहली बार गैरसैंण में तिरंगा फहराया तो राज्य स्थापना दिवस 9 नवंबर को उन्होंने गैरसैंण पहुंचकर आगामी दिनों में 25 हजार करोड़ से गैरसैंण के विकास की प्रतिबद्धता एक बार पुनः दर्शाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में गैरसैंण का चरणबद्ध तरीके से विकास किया जाएगा। वहीं, अब मुख्यमंत्री ने ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में कर्मचारी-अधिकारियों की आवासीय व्यवस्थाओं को विकसित करने के लिए धनराशि स्वीकृत की है।