देहरादून। एबीपी-सी वोटर ने उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में कुल 275 लोगों से देश का मूड जाना। और इस आधार पर एबीपी चैनल ने मुख्यमत्री त्रिवेन्द्र रावत को सबसे खराब मुख्यमंत्री की सूची में डाल दिया। जिसके चलते भाजपा समर्थकों में सर्वे कराने वाली कम्पनी एबीपी-सी वोटर के खिलाफ नाराजगी है।
विगत शुक्रवार को एबीपी न्यूज चैनल के सर्वे में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सबसे खराब मुख्यमंत्री बताया गया। बुद्धिजीवियों और जनता ने सर्वे में शामिल सवाल ’सबसे खराब मुख्यमंत्री’ के औचित्य को सिरे से नकार दिया। वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा का कहना है कि मीडिया खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया का देश में स्तर गिरा है। समाचार चैनलों की विगत कई सालों से विश्वसनीयता पर सवाल उठते आए हैं। ऐसे में इस तरह के सर्वे की विश्वसनीयता और प्रामाणिकता पर संदेह होना लाजिमी है। भाजपा समर्थकों और आम जनता ने इस सर्वे को भ्रामक और तथ्यहीन बताया।
भाजपा समर्थकों का कहना है कि उत्तराखण्ड में 70 विधान सभा हैं और 5 लोक सभा क्षेत्र हैं। लेकिन एबीपी चैनल ने उत्तराखण्ड में कुल 275 लोगों की पसंद-नापसंद को पूरे देश का मिजाज मान लिया। वरिष्ठ पत्रकार हरीश जोशी तो सर्वे में शामिल प्रश्न ‘सबसे खराब मुख्यमंत्री’ के औचित्य पर ही सवाल खड़ा करते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी मुख्यमंत्री और राजनेता लोकप्रियता के सबसे निचले पायदान पर तो हो सकता है, लेकिन सबसे खराब कैसे हो सकता है? खराब का मतलब क्या है?
इधर सर्वे प्रसारित करने वाले एबीपी चैनल का दावा है कि आधे लोग खुश और आधे लोग नाराज है। लेकिन सवाल उठता है कि भाजपा को 46.5 प्रतिशत के आसपास ही वोट मिले थे, बाकि बचे विपक्ष सहित अन्य लोगों को वोट मिले। उत्तराखंड में 70 में से 57 सीटों पर परचम लहराने वाली भाजपा ने विकास को लेकर नई बुलंदियों को छूआ है। सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत की बदौलत ही भाजपा ने विधानसभा उपचुनाव और निकाय चुनावों में भी जीत हासिल की। ऐसे में न्यूज चैनल का सर्वे सरासर झूठा साबित होता है।
चैनल का दावा है कि 50 प्रतिशत लोगों ने ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की कार्यशैली को पसन्द किया। लेकिन सवाल है कि भाजपा को तो उत्तराखंड में कुल 46.5 प्रतिशत के आसपास ही वोट मिले थे, बाकी विपक्ष सहित अन्य लोगों को मिले।