देहरादून। आखिरकार उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) के कुलपति प्रो० नरेंद्र एस० चौधरी को शासन से टकराना महंगा साबित हुआ। उन्होंने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। राज्यपाल ने उनके इस्तीफा मंजूर कर लिया है।
प्रो० नरेन्द्र सिंह चौधरी में अपने इस्तीफे में निजी कारणों का हवाला दिया है। लेकिन जिस तरह उनके कार्यकाल के दौरान कुलपति और शासन के बीच टकराव हुए, इसके पीछे असल वजह बताई जा रही है।
यूटीयू में प्रो० चौधरी दो साल तीन माह कुलपति रहे। लेकिन यूटीयू में प्रो० चौधरी का कार्यकाल काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। उनकी नियुक्ति के कुछ समय बाद ही पीएचडी, भर्ती में धांधली और कॉलेजों की संबद्धता को लेकर यूटीयू और शासन के बीच भारी गतिरोध रहा।
इन मामलों में कई बार शासन और यूटीयू आमने-सामने आ गए। विश्वविद्यालय में कुलसचिव नियुक्ति मामले में भी कुलपति प्रो० नरेन्द्र चौधरी और शासन के बीच बड़ा टकराव हुआ। कुलसचिव को एकतरफा कार्यमुक्त कर उन्होंने एक तरह से शासन को खुली चुनौती दे दी थी।
अक्टूबर 2020 में प्रो०चौधरी की बुलाई कार्य परिषद को लेकर भी शासन ने सवाल खड़े किए थे। लगातार विवादों में रहने वाले कुलपति नरेन्द्र सिंह चैधरी की मनमानी कार्यशैली के चलते उनके खिलाफ शासन की ओर से जांच चली।
बहरहाल राज्यपाल ने प्रो० चौधरी का इस्तीफा मंजूर कर लिया है तथा नियमित कुलपति की नियुक्त तक श्रीदेवसुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डा० पी०सी०ध्यानी को अस्थायी तौर तकनीकी विश्वविद्यालय का दायित्व सौंपा है।