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गौवंश के साथ क्रूरता पर गौ सेवा आयोग सख्त, कानूनी कार्रवाई करने के दिए आदेश

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देहरादून। उत्तराखण्ड गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष पं० राजेन्द्र अणथ्वाल ने अशक्त और अलाभकारी गौवंश को सड़कों पर आवारा छोड़ने पर सख्त रुख अख्तियार किया है। उन्होंने सभी नगर निकायों को आदेश जारी कर कहा है कि ऐसे लोगों के खिलाफ गौवंश संरक्षण अधिनियम के तहत कानूनी कार्यवाई अमल में लाई जाए।

आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि संज्ञान में आया है कि पशुपालक और डेरी संचालचक वृद्ध, अशक्त एवं बीमार पशुओं को सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं। ये पशुओं के साथ क्रूरता के दायरे में आता है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में पशु क्रूरता को रोकने के लिए उत्तराखण्ड गोवंश संरक्षण अधिनियम 2007 प्रभावी है जिसकी धारा-7 की उपधारा (क) और (ख) के तहत कोई भी व्यक्ति गोवंश को आवारा नहीं छोड़ेगा तथा गाय को दुहने के पश्चात स्वतंत्र विचरण नहीं करने देगा। अधिनियम की धारा-8 के तहत राज्य के सभी शहरी क्षेत्र में गोवंश पालन के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य है।

उन्होंने कहा कि पशुओं को सड़क पर आवारा छोड़ना कानून का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यदि कोई इन नियमों का उल्ल्घन करता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाए।

उन्होंने सभी निकायों को आदेश जारी करते हुए कहा कि गौवंश कानूनों का प्रचार प्रसार किया जाए ताकि लोगों में जागरूकता आए। उन्होंने कहा कि ऐसे पशुपालकों और डेरी संचालकों को चिन्हित किया जाए तो गौवंश अधिनियम का उल्लंघन करते हैं।

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