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कांग्रेस के बड़े नेता हरीश रावत ने जब पिरूल के ढेर में छिपकर बाघ से बचाई अपनी जान

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यादों-का-सिलसिला
कांग्रेस के बड़े नेता हरीश रावत 72 साल के उम्र में भी खासा सक्रिय हैं। उनकी सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कभी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच दिखाई देते है तो वहीं जनमुद्दों को लेकर प्रदर्शन करते नजर आते हैं। हरीश रावत देश के उन चंद नेताओं में शुमार है जो सोशल मीडिया में भी बराबर सक्रिय दिखाई देते हैं। फेसबुक में उनकी हर विषय पर पोस्ट मिल जायेगी। इन दिनों वे यादों का सिलसिला शीर्षक से अपने बचपन के दिनों की यादा साझा कर रहे हैं।

जब आप मन को कुरेदते हैं तो यादों का एक सिलसिला चल पड़ता है। मैं छोटा रुबच्चा था, तब मैं 5-6 साल का रहा हूंगा। किसी बात में मुझे डाट पड़ गई तो मैं नाराज होकर के एक पिरूल के ढेर में छिप गया, बड़ी आवाजें लगी। नौनिहाल नजदीक में था, मैं भागकर के बहुधा नौनिहाल में अपनी माँ की माँ चंद्रा अम्मा की गोद में चला जाता था, वहाँ मुझे खाने के लिए गुड़-घी बहुत अच्छी-अच्छी चीजें मिलती थी, तो लोगों ने समझा कि वहीं गया होगा, वहां आवाज लगाई उन्होंने कहा यहां नहीं आया है तो मेरी चारों तरफ खोज होने लगी कि मैं गया कहाँ! जहाँ मैं छिपा पड़ा था, उसके बगल में आकर के एक बड़ी सी बिल्ली बैठ गई। मैं पूरी बिल्ली तो देख नहीं पाया, लेकिन उसकी कुछ धारियां जैसी दिखाई दी तो मुझे लगा रुबाघ आ गया और मैं डर के मारे बिल्कुल चुप-चाप, शायद सास तक नहीं ले रहा था कि कहीं बाघ मुझ पर झपट न पड़े, उसी समय मेरी एक चाची घोठ में रुगाय-भैसों को घास (चारा) देने के लिए आयी तो मुझे वहीं मौका लगा। मैंने कहा रुकाकी-मैं-यां-छौं मतलब चाची मैं यहां हूँ तो चाची ने सबसे कहा हरीश तो यहाँ छिपा है, तब तक वो बिल्ली भाग गई, क्योंकि जब बिल्ली ने आवाज सुनी और उधर चाची की आवाज सुनी तो, बिल्ली तो भाग गई, लेकिन मैं पकड़ में आ गया और उस दिन मेरी बड़ी पिटाई हुई कि तुमने सबको परेशान कर दिया करके, और भी बहुत सारी बचपन की यादे हैं, मैं उनको भी जल्दी ही आपके साथ साझा करूंगा।

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