देहरादून। मंगलवार को ‘‘उत्तराखण्ड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन‘‘ के प्रदेश कार्यकारिणी की अति आवष्यक बैठक ‘गूगल मीट’ के माध्यम से आयोजित की गई। बैठक में राज्य में 2022 में होने वाले विधान सभा चुनावों से पूर्व राज्य सरकार से ऊर्जा के तीनों निगमों में उपनल के माध्यम से कार्योजित संविदा कार्मिकों के नियमितीकरण की मांग के सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा की गई।
इस दौरान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कवि ने कहा कि राज्य सरकार को ऊर्जा के तीनों निगमों में 10 से 15 वर्षों से अधिक समय से उपनल के माध्यम से कार्योजित कर्मचारियों के नियमितिकरण के सम्बन्ध में संवेदनशीलता के साथ विचार कर निर्णय लेने की आवश्यकता है तथा इस प्रकरण पर मुख्यमंत्री को सीधे हस्तक्षेप करते हुए अन्य राज्यों जैसे हिमांचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा, तेलंगाना इत्यादि की भांति नियमितीकरण की दिशा में सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। क्योंकि उक्त संविदा कार्मिकों के नियमितिकरण व समान वेतन के सम्बन्ध में औद्योगिक न्यायाधिकारण, हल्द्वानी व उच्च न्यायालय, नैनीताल पूर्व में ही निर्णय पारित कर चुका है। जहां तक आउटसोर्स कर्मचारियों के नियमितिकरण का सवाल है तो राज्य सरकार तेलांगाना राज्य द्वारा वहां के ऊर्जा क्षेत्र हेतु जारी नियमितिकरण नियमावली का परीक्षण करा लें जिसके द्वारा तेलंगाना सरकार द्वारा 24000 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित किया गया।
संगठन के प्रदेश महामंत्री मनोज पंत ने कहा कि उपनल संविदा कार्मिकों के साथ हर सरकार में घोर अन्याय हुआ है। एक तरफ तो 5 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले संविदा कार्मिकों नियमित किया जाता है तथा दूसरी ओर 10 से 15 वर्ष की निरन्तर सेवा पूरी करने वाले संविदा कार्मिकों को नियमितिकरण से वंचित रखा जा रहा है।
उपनल कर्मचारियों के मामले में उत्तराखण्ड षासन दोहरी निति अपना रहा है क्योंकि विधान सभा सचिवालय, उद्यान विभाग में उपनल कर्मचारियों को नियमित किया है परन्तु संगठन के पक्ष में न्यायालय द्वारा पारित निर्णयों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
वचुर्वल बैठक को सम्बोधित करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष प्रेम भट्ट ने भी कहा कि ऊर्जा के तीनों निगमों मंे कार्यरत उपनल संविदा कर्मचारियों द्वारा कोरोना काल से लेकर हर आपदा की स्थिति में राज्य में निर्बाध विद्युत आपूर्ति बहाल करने में पूरी निश्ठा व ईमानदारी से अपने दायित्वों का निर्वहन करता आ रहा है जिसके आधार पर शासन व प्रबन्धन अपनी पीठ थपथपाते हैं, श्री भटट ने कहा कि हिमांचल प्रदेश ने राज्य में आगामी विधान सभा चुनावों को देखते हुए 2 वर्ष की निरन्तर सेवा वाले कार्मिकों को नियमित करने का निर्णय लिया है तथा परन्तु उत्तराखण्ड सरकार द्वारा अभी तक कोई भी नियमितिकरण नियमावली जारी नहीं की है।
श्री भट्ट ने कहा कि राज्य की कमान एक ऐसे युवा मुख्यमंत्री के हाथों में जो निश्चित तौर पर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होने देंगे, संगठन के प्रत्येक सदस्य को विश्वास है कि उपनल संविदा कार्मिकों के साथ न्याय होगा।
बैठक में कई वक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री जी निश्चित रूप से ऊर्जा कार्मिकों की पुकार को सुनेंगे तथा वर्षों की सेवाओं के दृष्टिगत संविदा कार्मिकों के साथ न्याय करेंगे और चुनाव आचार संहिता से पूर्व नियमितिकरण नियमावली जारी करेंगे।
वचुर्वल बैठक में विनोद कवि, मनोज पंत, प्रेम भट्ट, कैलाश उपाध्याय, अमर सिंह, देवेन्द्र कन्याल, महिमन, कंचन जोशी, अनिल नौटियाल, संजय काला, मनोज पांडे, मनीष पांडे, शीला बोरा, नीरज उनियाल, घनानन्द पुरोहित इत्यादि उपस्थित रहे।