Home उत्तराखंड मामला न्यायालय में विचाराधीन, बाल संरक्षण आयोग कर रहा राजनीतिः शिक्षक संघ

मामला न्यायालय में विचाराधीन, बाल संरक्षण आयोग कर रहा राजनीतिः शिक्षक संघ

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फाइल चित्र

देहरादून। राजकीय शिक्षा संघ उत्तराखण्ड, संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह बिष्ट के खिलाफ दो वर्ष पूर्व मामले को लेकर समाचार पत्रों में गलत तथ्यों के साथ प्रसारित करने को लेकर खासा नाराज है। संगठन के मुताबिक नरेन्द्र सिंह बिष्ट का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। लेकिन एक राजनीतिक साजिश के तहत नरेन्द्र सिंह बिष्ट की छवि को धूमिल किये जाने का प्रयास किया जा रहा है। संगठन ने बाल संरक्षण आयोग की कार्यशैली पर भी आपत्ति जाहिर की है। शिक्षक संघ का कहना कि न्यायालय में विचाराधीन मामले में बाल संरक्षण आयोग हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहा है।
गौरतलब है कि तत्कालीन प्रधानाचार्य राजकीय इण्टर कालेज माजरी माफी, नरेन्द्र सिंह बिष्ट पर छेड़छाड़ का आरोप लगा था। इस मामले में न्यायालय में सुनवाई चल रही है। 25 मई 2019 को विभाग द्वारा नरेद्र सिंह बिष्ट के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें जीआईसी माजरी से हटाकर राजकीय इण्टर कालेज खुड़बुड़ा में अटैच कर दिया है।

राजकीय शिक्षा संघ ने भेजे पत्र के मुताबिक शिक्षक नरेन्द्र सिंह बिष्ट की तैनाती जीआईसी खुड़बुड़ा में की गई जो कि छात्राविहीन स्कूल है। लेकिन इस शिक्षक के खिलाफ समाचार माध्यमों में आधारहीन और गलत तथ्यों को प्रस्तुत कर उनकी और उनके पारिवारिक छवि को धूमिल किया जा रहा है। संघ ने कहा कि आरोपित शिक्षक इस कारण से डिप्रेशन में है। राजकीय शिक्षक संघ ने चेतावनी दी है कि यदि इस वजह से आरोपित शिक्षक कोई गलत कदम उठाता है तो इसके लिए बाल संरक्षण आयोग और सम्बन्धित समाचार पत्र जिम्मेदार होंगे।
बाल संरक्षण आयोग ने सफाई देते हुए कहा आयोग कोर्ट के मामले में किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है। आयोग का काम बाल अधिकारों का संरक्षण करना है। उन्होंने कहा कि पीड़ित पक्ष को निष्पक्ष समुचित न्याय मिले, यही इस आयोग का मकसद है। इसको लेकर इस मामले में आयोग ने चार मर्तबा शिक्षा निदेशालय से इस केस के बारे में जानकारी चाही लेकिन विभाग की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। अंत में आयोग ने शिक्षा विभाग के अफसरों को तलब किया। जिसमें में जानकारी मिली की आरोपी शिक्षा को राजकीय इण्टर कालेज खुड़बुड़ा में तैनात किया गया है। आयोग का कहना है कि आरोपित शिक्षक की तैनाती ऐसी स्कूल मे की जाय जहां बालिकाएं अध्धयनरत् न हो या विभागीय कार्यालयों से सम्बद्ध किया जाय।
उधर शिक्षा उपनिदेशक के॰पी॰ उनियाल के मुताबिक शिक्षक नरेन्द्र सिंह बिष्ट की खुड़बुड़ा राजकीय इण्टर कालेज में तैनाती का मामला विभाग के संज्ञान में नहीं था। बाल संरक्षण आयोग ने जब इस मामले में जानकारी मांगी तो वे आयोग के समक्ष उपस्थित हो गये। उन्होंने बताया कि राजकीय इण्टर कालेज में छात्राएं नहीं पढती है। हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारी इतने गंभीर मसले पर न तो विभाग का पक्ष ठीक से रख पाये और न वर्तमान स्थिति पर अपनी राय रख पाये।
बयान
मेरी जानकारी के मुताबिक राजकीय इण्टर कालेज में बालिकायें भी है। लिहाजा आयोग ने आरोपित शिक्षक की तैनाती ऐसे स्थान पर किये जाने को कहा जहां छात्राएं न हो। हमे अभी तक यह जानकारी थी कि इस मामले में ट्रायल शुरू नही हुआ है, जबकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ट्रायल पिछले वर्ष ही शुरू हो गया था। आयोग न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में कोई दखलअंदाजी नही कर रहा है। विभाग के सही समय पर जानकारी उपलब्ध न कराने के कारण यह मामला उठा है।
बयान
आयोग द्वारा बताया गया है कि शिक्षा विभाग को उक्त प्रकरण में कईबार पत्र भेजे गये थे, जिस में उक्त प्रकरण से जुडे बिंदुओं की रिपोर्ट मांगी गयी थी। किन कारणों से विभागीय अधिकारियों तक संबंधित पटल पर पत्र प्रस्तुत नहीं किये गये, इसके लिए जांच की जा रही है। वर्तमान में आयोग को सूचित किया जा चुका है कि यह मामला न्यायालय में लंबित है न्यायालय के निर्देश आदेश के बाद ही अब कोई कार्यवाही की जा सकती है।

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