देहरादून। बिशिष्ट बीटीसी में नियुक्ति के लिए 50 प्रतिशत अंक के मानक के चलते प्रदेश के कई बीएड प्रशिक्षित नौजवानों का टीचर बनने का सपना चकनाचूर होता नजर आ रहा है। इस नये मानक का बड़ा असर अनुसूचित जाति और जनजाति के अभ्यर्थियों के सपनों पर पड़ रहा है।
बीएड प्रशिक्षित बैरोजगारो का कहना है कि सरकार ने 2006-2007 में मानक अंकों से 5 प्रतिशत कम कराकर, सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 45 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति, जनजाति के अभ्यर्थियों को 40 प्रतिशत पर बी०एड० करवाया है। और अब नियुक्तियों को लेकर 50 प्रतिशत का मानक सामने ला रहे हैं। जबकि संवैधानिक आधार को लेकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को 5 प्रतिशत की छूट दी जाती हैं। लेकिन विभाग अनुसूचित जाति और जनजाति के अभ्यर्थियों को इस पांच प्रतिशत अंकों की छूट को देने में कतरा रहा है।
अपनी इस समस्या को लेकर अनुसूचित जाति/जनजाति से ताल्लुक रखने वाले बी०एड० प्रशिक्षित बेरोजगारों का एक प्रतिनिधिमण्डल ने आदर्श सभा के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सेनवाल से मिला। और उन्होंने बिशिष्ट बीटीसी की नियुक्तियों को लेकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया। प्रतिनिधिमण्डल ने बताया कि प्रदेशभर के अनुसूचित जाति/जनजाति के प्रशिक्षित बेरोजगारों को शिक्षा बिभाग भर्ती में पांच प्रतिशत छूट देने से कतरा रहा है जोकि हमारा सांविधानिक अधिकार है।
आदर्श सभा के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सेनवाल ने प्रतिनिधिमण्डल को आश्वासन दिया कि नियुक्ति के मानक की इस विसंगति की बात वे सीधे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने रखेंगे। कुलदीप सेनवाल ने कहा कि 5 प्रतिशत अंकों की छूट अनुसूचित जाति और जनजाति के अभ्यर्थियों को देश का संविधान भी देता है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में जो भी तकनीकी अड़चनें है उन्हें दूर करने के लिए मुख्यमंत्री संज्ञान में लाया जाएगा।
इस दौरान विक्रम लाल नखोलिया, श्रुतम भरतवाण, हरिमोहन, कैलाश चंद्रा धारकोटी, अखिलेश राणा, तथा मनोज चुरखडी आदि शामिल रहे।