प्रमोद शाह
अलग उत्तराखंड राज्य गठन के बाद, राज्य के रूप में उत्तराखंड की सर्वाधिक परीक्षा प्रकृति के द्वारा ही ली गई है।
विशेषकर 2010 के बाद कभी भूस्खलन, कभी बादल फटना और कभी अतिवृष्टि के रूप में अलग-अलग प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का सामना उत्तराखंड राज्य को करना पड़ा है ।
एक नवगठित राज्य के लिए इस प्रकार के प्राकृतिक आपदाओं से पार पाना निश्चित रूप से एक कठिन और चुनौती भरा कार्य होता है।
2013 की केदारनाथ आपदा के बाद आपदा नियंत्रण के मामले में राज्य के रूप में उत्तराखंड के सबक गहरे रहे हैं। तब से राज्य में आपदा नियंत्रण के लिए अलग से आपदा प्रबंधन मंत्रालय तथा प्रत्येक जनपद में आपदा प्रबंधन का अलग से ढांचा है ।
लेकिन जब कभी भी राज्य को प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ता है, लोगों की सर्वाधिक और पहली उम्मीद राज्य पुलिस से रहती है, जन अपेक्षाओं के अनुरूप पहली उत्तर दाता एजेंसी के रूप में उत्तराखंड पुलिस का कार्य हमेशा सराहनीय रहा भी है।
2013 की आपदा के उपरांत किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा का मुकाबला करने के लिए एनडीआरएफ की तर्ज पर एसडीआरएफ का गठन किया गया है । एसडीआरएफ ने अपने गठन के प्रारंभिक साल से ही आपदा में बचाव एवं राहत कार्यों में सफलता के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा किया है ।यद्यपि एस.डी.आर.एफ के विस्तार की गुंजाइश अभी बाकी है ।
7 नवंबर 2021 का दिन उत्तराखंड पुलिस के लिए एक उपलब्धि भरा दिन है ।जब हमने देश के सबसे बड़े बांध टिहरी बांध में 115 हॉर्स पावर और 150 हॉर्स पावर की क्षमता के दो-दो फ्लोटिंग बोर्ड को समर्पित करने के साथ ही एक 50 मैन पावर क्षमता के फ्लोटिंग स्टेशन को भी राज्य की जनता को समर्पित किया
इस प्रकार समुद्र तटीय राज्यों को छोड़कर ,उत्तर भारत में जल आपदा से निपटने का यह किसी भी राज्य की, यह सबसे बड़ी और आधुनिक तैयारी है।
आपदा की दृष्टि से, संवेदनशील और सैस्मिक जोन पर स्थित होने के कारण राज्य पुलिस की इस आधुनिक तैयारी का श्रेय निश्चित रूप से राज्य सरकार एवं राज्य के पुलिस महानिदेशक श्री अशोक कुमार जी को तो जाता ही है, वही एक भविष्य दृष्टा एवं तत्पर संगठन के रूप में उत्तराखंड पुलिस की यह बड़ी उपलब्धि भी है ।
(प्रमोद शाह के फेसबुक पेज https://www.facebook.com/pramod.sah.31 से साभार)