देहरादून। उत्तराखण्ड सरकार ने देवस्थानम् बोर्ड को भंग कर दिया है। तीर्थ-पुरोहित लम्बे समय से बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहे थे। आने वाले शीतकालीन सत्र में देवस्थानम् को कैंसिल किए जाने की संभावना है।
आखिरकार धामी सरकार ने उत्तराखण्ड में चर्चित देवस्थानम् बोर्ड को भंग करने का फैसला कर ही लिया है। चुनाव दहलीज में खड़ी सत्ताधारी बीजेपी तीर्थ-पुरोहित की नाराजगी मोल लेकर चुनाव मैदान में उतरना चाहती है। चारधाम यात्राओं की व्यवस्थाओं को दुरूस्त कराने के मकसद से त्रिवेन्द्र सरकार ने बोर्ड का गठन किया था। लेकिन बोर्ड के गठन के बाद से ही तीर्थपुरोहित इसका विरोध कर रहे थे। तीर्थ-पुरोहित भाजपा सरकार पर उनकी अनदेखी का आरोप लगा रही थी।
तीर्थ पुरोहित केदारनाथ पहुंचे पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत का भी कड़ा विरोध किया। इसके साथ ही देवस्थानम् बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहित ने मंत्रियों के आवास पर भी अपना विरोध जताया। हाल ही में तीर्थ पुरोहित ने देवस्थानम् बोर्ड के विरोध में सचिवालय पर भी प्रदर्शन किया।
प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस देवस्थानम् बोर्ड भंग करने को चुनावी मुद्दा बना लिया था। चुनाव दहलीज पर खड़ी सत्ताधारी दल ऐसे समय तीर्थ पुरोहित की नाराजगी कतई मोल नहीं लेना चाहती।
इससे पहले प्रदेश सरकार ने देवस्थानम् बोर्ड को लेकर पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोहर कांत ध्यानी की अगुवाई में हाईपावर कमेटी का गठन किया। बोर्ड ने अपनी रपट सीएम धामी को सौंप दी थी। बावजूद इसके प्रदेश सरकार देवस्थानम् बोर्ड को लेकर फैसला टाल रही थी। जिससे तीर्थ-पुरोहित का प्रदेश सरकार पर भरोसा उठता जा रहा था।
गौरतलब है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी से रविवार को ऋषिकेश में देवस्थानम बोर्ड के सम्बन्ध में गठित उच्च स्तरीय समित के अध्यक्ष मनोहर कान्त ध्यानी ने भेंट की। उन्होंने बोर्ड के सम्बन्ध में समिति द्वारा तैयार किया गया अन्तिम प्रतिवेदन आधिकारिक तौर पर मुख्यमंत्री को सौंपा। मुख्यमंत्री ने कहा था कि समिति द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन का परीक्षण कर जल्द ही इसपर फैसला लिया जायेगा। तब से देवस्थानम् बोर्ड को भंग किये जाने के कयास लगाये जा रहे। और मंगलवार को प्रदेश सरकार ने इन कयासों पर अपनी मुहर लगा दी है।