देहरादून। कर्नल अजय कोठियाल ने आप का दामन थाम लिया है। सोमवार को हरिद्वार रोड स्थित होटल में आम आदमी पार्टी के मिशन उत्तराखण्ड नव निर्माण कार्यक्रम के तहत उन्होंने झाड़ू उठा लिया है। कर्नल कोठियाल लम्बे समय से अपने लिये राजनीतिक जमीन की तलाश कर रहे थे।
जानकारों की माने तो उन्होंने बड़े राष्ट्रीय दल कांग्रेस और बीजेपी के जरिए राजनीति में उतरने की पहले तमाम कोशिश भी की लेकिन बात नहीं बन पाई। बताया जाता है कि कर्नल कोठियाल ने 2019 में पौड़ी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का ऐलान भी किया था लेकिन ना ही भाजपा और ना कांग्रेस ही कांग्रेस ने इसमें दिलचस्पी दिखाई। लिहाजा कर्नल कोठियाल ने चुनाव मैदान से अपने कदम पीछे खींच लिये।
कांग्रेस और बीजेपी से ‘नो एंट्री’ के सिग्नल के बाद से ही कर्नल कोठियाल अपने लिए कोई मुफीद जमीन तलाश रहे थे। वहीं आम आदमी पार्टी उत्तराखण्ड में उतरने के लिए मजबूत चेहरे की तलाश में थी। यहां पर आप और कर्नल कोठियाल दोनों की तलाश खत्म हुई और दोनों ने लिए एक-दूसरे को अपनाने का मन बना लिया है।
बताया जा रहा है कि इसको लेकर कर्नल कोठियाल और आप के बीच में लम्बे समय से बातचीत चल रही थी। आप को लगता है कि सैनिक पृष्ठभूमि वाले उत्तराखण्ड में कर्नल अजय कोठियाल उनके तारणहार बन सकते हैं। कर्नल कोठियाल ने केदारनाथ आपदा के बाद पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तभी से कर्नल कोठियाल उत्तराखण्ड और देश में चर्चित भी हुए।
एक सैनिक के तौर पर कर्नल अजय कोठियाल के पास तमाम उपलब्धिया हैं। उन्होंने यूथ फाउण्डेशन की स्थापना भी की। जो इस समय उत्तराखण्ड में सेना में भर्ती पूर्व प्रशिक्षण का काम करता है। उनके टेªनिंग सेंटर से उत्तराखण्ड के हजारों नौजवान सेना में भर्ती हुए हैं। आम आदमी पार्टी उत्तराखण्ड में उनकी यही छवि भुनाना चाहती है। और उनके सहारे सैनिक पृष्ठभूमि वाले उत्तराखण्ड में 2022 सत्ता का सपना संजो रही है।
समाज सेवा में अजय कोठियाल का योगदान सराहनीय रहा है। लेकिन राजनीति को काजल की कोठरी कहा जाता है। कहते है कि जो इस कोठरी में प्रवेश करता है उसके दामन में कालिख लगना तय है। भले ही उत्तराखण्ड सैनिक पृष्ठभूमि वाला क्षेत्र हो लेकिन यहां हर गांव में आपको ये कहने सुनने को अक्सर मिल जाता है कि ‘सुबदार होगा तो अपने घर का होगा’।