बजट सत्र के तीसरे कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने सदन में फार्मासिस्टों का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में विभिन्न शासनादेशों के तहत फार्मेसिस्ट के 539 पद स्वीकृत कर विभिन्न जनपदों की विभिन्न विधानसभाओं में तैनात किया गया था। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा 20 सितम्बर 2011 को आईपीएचएस के मानकों का पुनर्गठन कर फार्मेसिस्ट के पदों को समाप्त किया जा रहा है जिससे पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा जायेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार आईपीएचएस के मानक लागू करके ‘वेलनेस सेंटर’ स्थापित करने की बात कर रही है। उन्होंने सवाल किया कि सरकार द्वारा क्या ‘वेलनेस-सेंटर विधानसभा के स्तर पर स्थापित किये जायेंगे? उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार स्वास्थ्य का विषय राज्य का है, जब पड़ोसी राज्यों सहित अनेक राज्य आईपीएचएस के मानक लागू करने से इंकार कर चुके हैं तो राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए सरकार को ये मानक लागू करने की जल्दी क्यों है?
उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार फार्मेसिस्ट कॉलेज खोल रही है तो दूसरी तरफ फार्मेसिस्ट के पदों को समाप्त कर रही है। सरकार ऐसा करके एक नई चुनौती खड़ी कर रही है।