देहरादून। कोविड महामारी की मार हर कोई झेल रहा है। कोरोना काल में हमने तमाम ऐसी दर्द की कहानियां सुनी जिसने हमारे मन को तोड़ कर रख दिया। संकट की इस घड़ी में लोग अपनों को सेफ कर लेना चाहते हैं। ऐसे में कई लोग ऐसे भी हैं, जिनका काम सामान्य तौर पर हर किसी को नजर नहीं आता, लेकिन यकीन मानिए उनके बिना इस महामारी से लड़ना आसान नहीं है। भय और निराशा के दौर में कोरोना की लड़ाई में फ्रंट लाइन पर खड़े कोरोना वॉरियर डॉक्टर और हेल्थ वर्कर्स जीजान से जुटे हुए हैं। और लोगों के दिलों में आशा और हौसले का दिया जला रहे हैं।
इन्हीं फ्रंटलाइन वाॅरियर में शामिल हैं श्रीनगर बेस अस्पताल के आईसीयू वार्ड में तैनात युवा डा० मोना कन्नौजिया। कोरोना की दूसरी लहर की शुरूआत विगत् अप्रैल से मई तक डा० मोना कन्नौजिया ने दून अस्पताल में अपनी सेवायें दी। पहाड़ों में कोरोना के बढ़ते कहर के बाद उनकी तैनाती श्रीनगर बेस अस्पताल में की गई। जहां वे अपने घर से दूर विषम परिस्थितियों में पूरे मनोयोग से लगातार आईसीयू वार्ड में कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा कर रही हैं।
डा० मोना कन्नौजिया बताती हैं हर किसी के परिजनों की तरह उसके परिवार वाले भी उनको लेकर चिंतित रहते है। उन्हें जब भी समय मिलता है तो अपने परिजनों से फोन पर बात कर लेती हैं। वे कहती हैं कि विपदा की इस घड़ी में मरीजों की सेवा ज्यादा जरूरी हैं। वे कहती हैं कि जब मरीज अस्पताल से ठीक होकर अपने घर वापस जाते हैं तो बड़ी दुआयें देते हैं। उनकी दुआओं और आशीर्वाद से थकान और घर से दूर होने का अहसास भी नहीं होता।
