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खुलासाः प्रदर्शन था बहाना, असल मकसद था त्रिवेन्द्र सरकार को कठघरे में लाना!!

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गैरसैंण। दिवालीखाल में सोमवार को कुछ असामाजिक तत्वों ने प्रदर्शन में शामिल होकर माहौल को बिगाड़ने की नाकाम कोशिश की। आंदोलन से जुड़े लोगों के मुताबिक वे अपनी मांगों को शांतिपूर्ण तरीके से उठा रहे थे। लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों ने प्रदर्शन में शामिल हुए पुलिस के साथ झड़प की स्थिति पैदा की। नंदप्रयाग-घाट सड़क के चैड़ीकरण के बहाने अपनी ओछी राजनीति चमकाने के लिए कुछ लोग त्रिवेन्द्र सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में है। त्रिवेन्द्र सरकार की लोकप्रियता से बौखलाए कुछ तथाकथित पेशेवर आंदोलनजीवी घाट मामले को हवा देखकर सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश में जुटें हैं।

चमोली निवासी जगदंबा प्रसाद पुरोहित ने ‘रिपब्लिक संदेश’ को बताया कि सोमवार को प्रदर्शन के दौरान काफी बाहरी लोगों का आना भी शुरु हुआ। जिन्होंने ग्रामीणों को विधानसभा कूच कर अपनी बात रखने को कहा। उन्होंने बताया कि आंदोलनकारी शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात को सरकार तक पहुंचाना चाहते थे। और आंदोलनकारियों का पुलिस के साथ टकराव का कोई इरादा नही था। लेकिन आंदोलन में कई राजनीतिक पार्टियों के घुसने से टकराव की स्थिति बनी।

दरअसल जिस सड़क चैड़ीकरण की मांग के बहाने ये लोग आंदोलन में उतरे हैं उसकी मांग सीएम त्रिवेन्द्र पहले ही पूरी कर चुके हैं। अल्मोड़ा दौरे के दौरान सीएम ने प्रदेश के सभी ब्लॉक मुख्यालयों को ट्रैफिक के हिसाब से डेढ़ लेन और दो लेन में तब्दील करने की घोषणा कर चुके हैं। लेकिन बावजूद इसके ओछी राजनीति करने वाले लोग और पेशेवर आंदोलनजीवी का ये नया गठजोड़ स्थानीय लोगों को बरगला रहे हैं।

चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कई बार असफल कोशिश हो चुकी है। लेकिन सीएम त्रिवेन्द्र की जीरो टॉलरेंस की नीति के चलते ये तथाकथित ओछी राजनीति करने वाले लोग सफल नहीं हो पाये। लिहाजा नंदप्रयाग-घाट चैड़ीकरण का मुद्दा लपककर ये जोड़ी फिर नई साजिश में जुट गई है।
सड़क चैड़ीकरण को लेकर मुख्य प्वाइंट होता है कि प्रतिदिन उस सड़क से तकरीबन 3,000 गाडियां चलनी चाहिये, लेकिन जिस सड़क को चैड़ा करने की बात उठाई जा रही है वहां मात्र प्रतिदिन 300 गाडियां ही चलती है। बावजूद इसके प्रदेश सरकार और खुद मुख्यमंत्री ने भी इस प्वाइंट को दरकिनार कर, ग्रामीणों के लिए सड़क को डेढ़ गुना करने का ऐलान पिछले महीने ही कर दिया था।

हमारे संवाददाता से बातचीत कर ग्रामीण दिनेश कठैत और राजीव भट्ट ने बताया, वहां पर त्रिवेन्द्र सरकार के विरोध और उनके खिलाफ आवाज बुलंद करने का एक गठबंधन बन गया था। इस गठबंधन का मकसद सरकार को अस्थिर करना था।

सोमवार को दिवालीखाल में हुई घटना को लेकर सीएम त्रिवेन्द्र रावत ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे चुके हैं। सीएम रावत ने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होगी इस घटना के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने ग्रामीणों से अपील करते हुए कहा कि, पेशेवर आंदोलनजीवियों के बहकावे में ना आएँ।

ग्रामीण मुकेश नेगी से बातचीत में पूरे घटना के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया, कि सोमवार सुबह से ही उत्तराखंड क्रांति दल और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने ग्रामीणों से संपर्क किया और उनको विधानसभा कूच करने को कहा। पूछे जाने पर शर्मा ने बताया, राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने कहा, की इस प्रदर्शन में हम आपके साथ हैं।

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