पर्यावरण के चित्तरे पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत ने साझा किये दून की रिस्पना नदी में वापस लौटी हरियाली के चित्र। वे बताते की रिस्पना से ऋषिपर्णा का लिया उनका संकल्प पूरा होता नजर आ रहा है।
नवम्बर 2017 में रिस्पना-से-ऋषिपर्णा का लिया संकल्प पूरा होता दिख रहा है। ये चित्र दर्शा रहे हैं कि अगर किसी भी कार्य के प्रति आपका समर्पण का भाव हो तो सफलता को कोई रोक नही सकता। रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने के हमारे संकल्प में अभी आगे भी और चुनौतियां हैं लेकिन हमारे बुलंद हौसले हमें रिस्पना से ऋषिपर्णा के लक्ष्य को हासिल करने से नहीं रोक सकते हैं।
जब से हमने रिस्पना के पुनरुद्धार का संकल्प लिया उसके बाद से ही मैंने स्वयं इसे व्यक्तिगत रूप से पूरा करने की ठानी। मुझे ये भी पता था कि यह कार्य आसान नहीं है, लेकिन जनभागीदारी से कारवां बढ़ता चला गया। आज रिस्पना नदी के किनारों पर हरियाली से जाहिर है कि हम अपने लक्ष्य की ओर मजबूती से आगे कदम बढ़ा रहे हैं और बहुत जल्द ही एक दिन रिस्पना अपने ऋषिपर्णा के स्वरूप को वापस हासिल करने में कामयाब होगी।
मेरे लिए यह संकल्प इसलिए भी व्यक्तिगत बन गया क्योंकि पर्यावरण के प्रति मैं बाल्यकाल से ही बेहद चिंतित रहा हूं। समय-समय पर वृक्षारोपण के बाद उन जगहों पर वृक्षों की देखरेख के लिए जाना बचपन से ही मेरे स्वभाव में रहा है। हमारे लिए केवल वृक्ष लगाना ही महत्वपूर्ण नही बल्कि वृक्ष लगाने के बाद उसकी देखरेख भी जरूरी है और उसी का परिणाम आज हमारे सामने हैं। मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि इस पूरी बेल्ट पर अधिकतर पौधे सही सलामत हैं, अच्छी तरह से बढ़ रहे और इस वर्ष कई फलदार वृक्षों पर फल भी देखने को मिले।
हमने कई प्रकार के वृक्ष यहां रोपे जिनमें फलदार से लेकर इमारती वृक्ष, पीपल, बरगद इत्यादि मौजूद हैं। आज जिस प्रकार कोरोना के संकट काल में ऑक्सीजन की भारी कमी देखने को मिल रही है उसको देखते हुए हम अपने पर्यावरण के लिए क्या कुछ बेहतर करें उसके लिए हमने विश्व पर्यावरण दिवस पर जनता-जनार्दन से ष्एक व्यक्ति-एक वृक्ष तथा #SelfieWithTree मुहिम के जरिये आगे आने का आह्वान किया है।
मैं, विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहूंगा नागरिक सुरक्षा संगठन, देहरादून के डिप्टी चीफ वार्डन श्री उमेश्वर रावत जी तथा उनकी पूरी टीम का जो अपनी स्वेच्छा से इस पुनीत कार्य में निरंतर लगे हुए हैं।
