देहरादून। मशहूर लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने अपने गीतों में घस्यारी की वेदना को दर्शाया है। पहाड़ की वो महिला जो अपने जानवरों के लिए घास की तलाश में जान को जोखिम में डालकर जंगलों और दुर्गम पहाड़ों में जाती है। घास लेने जंगल जाने वाली इन महिलाओं को स्थानीय बोली भाषा में घस्यारी कहा जाता है।
घसियारियां उत्तराखण्ड के आत्मनिर्भर श्रमजीवी समाज की धुरी हैं। पहाड़ों में पशुपालन समाज का एक जरूरी हिस्सा है। घास की तलाश में जंगलों में जाना यहां की महिलाओं की दिनचर्या में शामिल है। लेकिन जंगलों में कभी जंगली जानवरों का भय तो कभी किसी हादसे का डर हमेशा बना रहता है। एक गठरी घास के लिए इन्हें कभी-कभी मौत से भी जूझना पड़ता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच सालों में 562 लोग जंगलों में जंगली जानवरों का शिकार हो चुके हैं।
त्रिवेन्द्र सरकार ने ऐसी घस्यारियों के लिए बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने घस्यारियों को हादसे से बचाने और उनके सर का बोझा हटाने के लिए मुख्यमंत्री घस्यारी योजना को लांच करने का ऐलान किया है।
सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि महिलाओं को अब घास के लिए जान जोखिम में डालने की जरूरत नहीं है। प्रदेश सरकार सस्ता गल्ला के तर्ज पर सस्ता पशुचारा भी उपलब्ध करायेगी। मुख्यमंत्री घस्यारी योजना महिलाओं के उत्थान के लिए एक बड़ी योजना है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की इस घोषणा पर उत्तरकाशी निवासी दिनेश भट्ट का कहना है कि मुख्यमंत्री का ये एक ऐतिहासिक फैसला है। मुख्यमंत्री घस्यारी योजना पहाड़ की महिलाओं के लिए वरदान साबित होगी।
पौड़ी जिले से ताल्लुक रखने वाली बसंती देवी खुद घस्यारी हैं। जंगलों में घास बांझ की तलाश उनकी रोजमर्रा का हिस्सा है। बसंती देवी के मुताबिक दिन का एक बड़ा हिस्सा घास बांझ की तलाश में जंगलों में गुजर जाता है। जंगली जानवरों का डर हमेशा बना रहता है। लेकिन जानवरों को भूखा भी नहीं रख सकते। जब उनको घस्यारी स्कीम के बारे में बताया गया तो पहले वे यकीन नहीं कर पायी की दुकानों में घास मिलेगा। लेकिन वे फिर कहती है कि ऐसी स्कीम सरकार बनाती है तो बहुत अच्छा रहेगा।
पौ़ड़ी से ताल्लुक रखने वाले समाजसेवी मेहरबान सिंह ने मुख्यमंत्री घस्यारी स्कीम को क्रांतिकारी बताया। उन्होंने कहा कि पहाड़ी समाज में पशुपालन जीवन का अहम हिस्सा है। ये स्कीम केवल महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि पूरे पहाड़ के लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगी।
रुद्रप्रयाग की रहने वाली भागीरथी देवी बताती है कि पनेरी और घसेरी पहाड़ी समाज एक हिस्सा हैं। और उनके जीवन संघर्ष की अपनी एक गाथा है। हम सभी उन पनेरी और घसेरी के बशंज हैं। लेकिन किसी भी सरकार ने आज तक उनकी सुध नहीं ली। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पनेरी और घसेरी दोनों की सुध ली है। जल जीवन मिशन के तहत एक रुपये में पानी का कनेक्शन देकर पनेरियों की संघर्ष को खत्म किया तो अब मुख्यमंत्री घस्यारी योजना के तहत घसेरी को भी सम्मान देने की तैयारी हैं।
यहां आपको बता दें की ‘पनेरी’ पानी लाने वाली महिलाओं को कहा जाता है और ’घसेरी’ घास बांझ लाने वाली महिलाओं को कहा जाता है।