नरेन्द्र सिंह की रिपोर्ट
देवप्रयाग। भारी बारिश से अलकनंदा और गंगा नदी के ऊफान पर आने से तीर्थनगरी में दहशत बनी है। अलकनंदा कुछ घण्टों में ही खतरे के निशान से पांच मीटर ऊपर पहुंच गई। गंगा भी खतरे के निशान से करीब डेढ़ मीटर ऊपर बहने लगी।
बीते रविवार और सोमवार को हुई भारी बारिश से नदियां और गदेरे ऊफान पर आ गये। देवप्रयाग में अलकनंदा नदी का जल स्तर सोमवार सांय से बढ़ना शुरू हुआ। केंद्रीय जलायोग के सूत्रों के मुताबिक अक्तूबर माह में अलकनंदा का सामान्य जलस्तर 452 मीटर तक आ जाता है, लेकिन सोमवार शाम से हर घण्टे बढे़ पानी से अलकनंदा मंगलवार सुबह सात बजे तक 467.48 मीटर तक पहुंच गई। जो खतरे के निशान 463 मीटर से करीब पांच मीटर ऊपर था।
गंगा नदी मंगलवार तड़के खतरे के निशान से 463 से डेढ़ मीटर ऊपर बहने लगी। अलकनंदा के ऊफान पर आने से भागीरथी का जल प्रवाह थम गया, जिससे तीर्थनगरी में एकाएक पानी बढ़ने से अफरा-तफरी बन गई।
संगम स्थल पर गंगा मूर्ति तथा उसका लकड़ी से बना मंदिर बह गया। प्लेट फॉर्म तक पानी आने से संगम स्थल पर श्राद्ध भवन, वशिष्ठ और सूर्य गुफा पानी में डूब गए। भगवान राम की तपस्थली राम कुंड, सरस्वती कुंड, बेलेश्वर, धनेश्वेर, भरत घाट आदि भी डूब गए, सीवरेज प्लांट भी नदी में समा गया।
अलकनंदा में आये ऊफान से तीर्थवासियों की पूरी रात नींद उडी रही। तहसीलदार मानवेंद्र बडथ्वाल और थाना प्रभारी संजय मिश्रा की अगुवाई में पुलिस, प्रशासन और नगरपालिका की टीम ने हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी रात और सुबह तक अलकनंदा और गंगा के जल स्तर पर निगाह जमाये रखी।
मंगलवार को बारिश थमने के बाद नदियों का जल स्तर घटने से तीर्थवासियों ने राहत की सांस ली। श्रीनगर बांध से पानी छोड़ने और टिहरी बांध का पानी रोके जाने से देवप्रयाग में बाढ़ की स्थिति बनने से बच गई।