Home उत्तराखंड सुपर मार्केट से कम नहीं ख्यार्सी का ‘ग्रोथ सेंटर’

सुपर मार्केट से कम नहीं ख्यार्सी का ‘ग्रोथ सेंटर’

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देहरादून। सरकार के ग्रोथ सेंटर कॉसेप्ट ने ख्यार्सी के काश्तकारों की तकदीर बदल दी है। परम्परागत के बजाय वैज्ञानिक तरीके से खेती कैसे की जाती है? नगदी फसल का उत्पादन फायदेमंद क्यों है? स्थानीय उपज को मूल्यवर्धित उत्पाद (वैल्यू एडेड) में कैसे तब्दील किया जाता है? ये सब बातें किसानों को इस ग्रोथ सेंटर में सिखाई जाती हैं। काश्तकारों को यह भी ट्रेनिंग दी जाती है कि उत्पादों की आकर्षक पैकेजिंग किस तरह की जाए ताकि मल्टीनेशनल कम्पनियां आपके गांव तक खींची चली आएं। इन्हीं मूल मंत्रों के बूते ख्यार्सी के ग्रोथ सेंटर का सालाना टर्न ओवर महज एक वर्ष में 29 लाख रूपये से ऊपर पहुंच गया है। काश्तकार खुश हैं क्योंकि बिजनेस का लाभांश सीधे उनकी जेब में जा रहा है।

उत्तराखण्ड की त्रिवेन्द्र सरकार का फोकस किसानों की आय दोगुना करने पर है। किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हों इसके लिए गांवों में जगह-जगह ग्रोथ सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। ग्रोथ सेंटर कासेप्ट के चलते जलागम प्रबन्ध निदेशालय देहरादून ने टिहरी जनपद, जौनपुर ब्लॉक के ख्यार्सी गांव में भी ‘एग्री बिजनेस ग्रोथ सेंटर’ की स्थापना की। उत्तराखण्ड विकेन्द्रीकृत जलागम विकास परियोजना के फेस-2 में यह ग्रोथ सेंटर स्थापित किया गया। वल्र्ड बैंक से वित्तपोषित योजना के तहत अगस्त 2019 में इस ग्रोथ सेंटर ने काम करना शुरू किया। पहले सरकार ने ख्यार्सी में ग्रोथ सेंटर के बहुउपयोगी भवन का निर्माण किया। वहां के लिए पिसाई, पिराई व बेकरी के अत्याधुनिक उपकरण खरीदे। फिर किसानों को उसमें मूल्य आधारित और परामर्शदात्री सेवाएं प्रदान की गईं। वैज्ञानिकों की सलाह पर ख्यार्सी गांव में कृषि के दौरान जैविक खेती के तौर-तरीके अपनाये गए। ग्रामीणों से घरेलू उत्पाद खरीदे गए।

स्थानीय काश्तकारों खासकर महिलाओं को मशीनों से फल एवं फलों का जूस निकालने, मक्का व मंडुवे के बिस्कुट बनाने, मसाला पिसाई और तेल पिराई की ट्रेनिंग बड़े पैमाने पर दी गई। आकर्षक पैकेजिंग कर ग्रोथ सेंटर में तैयार उत्पादों को सचल विक्रय के जरिए आसपास के नगरों व शहरों में बेचा गया। आज अन्तर्राष्ट्रीय पैकेजिंग के साथ जैविक उत्पादों से सजा यह ग्रोथ सेंटर किसी सुपरमार्केट से कम नजर नहीं आता। इसके कुछ उत्पाद ऑनलाइन मार्केटिंग कम्पनी ‘अमेजन’ भी बेचती है। एग्री बिजनेस ग्रोथ सेंटर से मिल रहे लाभ को देखते हुए एक वर्ष के भीतर 7 ग्राम पंचायतें इससे जुड़ चुकी हैं। कुल 257 काश्तकार इसके सदस्य हैं, जिनकी आर्थिकी में निरन्तर सुधार हो रहा है। अब ग्रोथ सेंटर के कार्यक्षेत्र में विस्तार करते हुए पशु व फसल बीमा, बैंकिंग सेवा व मृदा परीक्षण के बारे भी काश्तकारों को परामर्श सुविधायें उपलब्ध कराई जायेंगी।

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