बागेश्वर। जनपद में वन संसाधनों के बेहतर प्रबंधन एवं विभिन्न गतिविधियों के जरिये स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने को उत्तराखंड वन संसाधन प्रबंधन परियोजना (जायका) की प्रथम बैठक जिलाधिकारी विनीत कुमार की अध्य्क्षता मे संपन्न हुई। बैठक के जिलाधिकारी ने प्रभागीय वनाधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा कि वे जायका अंतर्गत संचालित की जाने वाली आजीविका संवर्द्धन, इको रेस्टोरेशन एवं वाटर कंजर्वेशन जैसी गतिविधियों के लिए कृषि, उद्यान, मनरेगा जैसे विभागो से कनवर्जन कराते हुए कलस्टरवार रूप में जैविक खेती, चाल-खाल एवं विभिन्न प्रकार के फसलों का उत्पादन कराना सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि कनवर्जन के लिए वन विभाग वन पंचायतवार किये जाने वाले कार्यो की सूची का निर्माण करें ताकि संबंधित विभागों से आवश्यकता अनुरूप कनवर्जन किया जा सके। उन्होने इसके लिए कृषि एवं उद्यान विभाग को निर्देशित करते हुए कहा कि वे वन विभाग के मांग अनुरूप बीज की उपलब्धता एवं जैविक खेती के प्रमाणीकरण हेतु आवश्यक कार्यवाही कर, इसके संबंध में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
बैठक में जिलाधिकारी ने वन विभाग को स्वयं सहायता समूह के सीसीएल बनाये जाने एवं उनकी कार्य विधि के संबंध में उन्हें उचित प्रशिक्षण दिये जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश भी दिये। उन्होंने स्वयं सहायता समूहो द्वारा की जाने वाली विभिन्न व्यवसायिक गतिविधियों हेतु मार्केटिंग की उचित व्यवस्था किये जाने एवं नवाचारात्मक गतिविधियों को बढावा दिये जाने के भी निर्देश दिये। उन्होने वन विभाग को निर्देशित करते हुए कहा कि वे कनवर्जन एवं विभिन्न गतिविधियो के संचालन हेत एक मजबूत रणनीति का निर्माण कर उसके अनुसार कार्यो का संपादन करें ताकि वर्ष 2022 तक जायका परियोजना के लक्ष्यों को धरातल पर प्राप्त किया जा सके।
बैठक में सचिव जिला परामर्शदात्री समिति (जायका) प्रभागीय वनाधिकारी बागेश्वर बी०एस०शाही पे जिलाधिकारी को बताया कि इस योजना में जनपद अंतर्गत 80 वन पंचायत शामिल है। जिसमें 164 स्वय सहायता समूह कार्यरत है। उन्होने बताया कि जायका योजना के तहत 03 स्वयं सहकारिता समूहों विभिन्न गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं जो कपकोट, धरमघर एवं बागेश्वर में कार्यरत है। इस परियोजना के तहत तीन मुख्य लक्ष्यों का निर्धारण किया गया है। जिसमें ईको रेस्टोरेशन एवं वाटर कंजर्वेशन से संबंधित गतिविधियों का संचालन वन पंचायत के माध्यम से एवं आजीविका से संबंधित कार्यो का संचालन सहकारिता के माध्यम से जनपद में संचालन किया जा रहा है। उन्होने यह भी बताया कि इस परियोजना के माध्यम से कपकोट रेंज अंतर्गत सुमगढ, गासी व लाहुर बरमती जैसे क्षेत्रों में हल्दी मडुवा तथा चैलाई आदि का उत्पादन एवं बागेश्वर क्षेत्र के अंतर्गत सिमखोला, धरमघर जैसे क्षेत्र में लाल चावल, भटट व सोयाबीन आदि का उत्पादन भी किया जा रहा हैं। उन्होने बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत वर्तमान 2579 अखरोट के पौधो का रोपण भी किया गया हैं साथ ही नवीन पहल करते हुए लेहबेरी का भी उत्पादन किया जा रहा हैं।