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मिशन 2022ः डा० माजिला की काण्डा कमस्यार में बढ़ी सक्रियता, विरोधी खेमे में मची खलबली

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शिक्षक नेता सोहन सिंह माजिला

देहरादून। शिक्षक नेता सोहन सिंह माजिला कपकोट विधानसभा से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है। डा० माजिला इन दिनों कपकोट खासकर काण्डा क्षेत्र में खासे सक्रिय हैं। मीडिया के जरिये उनके चुनाव मैदान में उतरने की खबरें छपी हैं। हालांकि वे किस पार्टी के सिम्बल से चुनाव लड़ेगे? या निर्दलीय मैदान में उतरेंगे ये अभी साफ नहीं हुआ है।
डा० सोहन सिंह माजिला की महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और सीएम पुष्कर सिंह धामी से बेहद नजदीकियां बताई जाती हैं। वे अभिन्न उत्तर प्रदेश के दौरान भगत सिंह कोश्यारी के निजी सहायक भी रह चुके हैं। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् में रहकर छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे। ऐसे में राजनीतिक पण्डित कयास लगा रहे हैं कि डा० मांजिला भाजपा के सिम्बल पर कपकोट से चुनावी मैदान में उतरेंगे। हालांकि सोहन सिंह माजिला ने पार्टी को लेकर अभी तक कोई खुलासा नहीं किया है।

उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद, जनपद बागेश्वर में तीन विधान सभा सीट थी। जिसमे एक कांडा भी थी, जो 2002 से 2012 तक अस्तित्व में रही। परिसीमन के बाद साल 2012 में काण्डा विस का विलय कपकोट में हो गया।
काण्डा तहसील की बात करें तो 20 वर्षो में हुए 4 विधान सभा चुनाव में कभी भाजपा ने कांडा के लोगो को टिकट नहीं दिया। साल 2002, साल 2007 में जब कांडा विधान सभा थी, तब भी कपकोट से बलवंत सिंह भौर्याल को कांडा से टिकट दिया गया।

काण्डा विस का कपकोट में मर्ज होने के बाद भी साल 2012 और साल 2017 में कपकोट विधानसभा से बलवंत सिंह भौर्याल को टिकट दिया गया। लेकिन अब काण्डा क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले स्थानीय लोगों में बलवंत सिंह भौर्याल को लेकर खास आक्रोश हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक बलवंत सिंह भौर्याल ने काण्डा क्षेत्र की लगातार उपेक्षा की है।
अब काण्डा क्षेत्र के लोग सोहन सिंह माजिला की तरफ आशा की नजरों से देख रहे हैं। वे क्षेत्र के विकास के लिए डा० माजिला को अपना नेतृत्व सौंपना चाहते हैं। यहां की जनता खुलकर सोहन माजिला के समर्थन में है।

स्थानीय लोगों के मुताबिक इस क्षेत्र में जो भी विकास हुआ है, वह 2002 से 2007 तक कांग्रेस से विधायक रहे स्थानीय व्यक्ति उम्मेद सिंह माजिला ने किया है। वे कहते हैं कि काण्डा और कपकोट के संतुलित विकास के लिए 2022 में काण्डा कमस्यार, दुग-दोफाड़ क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति को टिकट दिया जाना चाहिए।

स्थानीय लोग कहते कि पिछले 20 वर्षो में कांडा कमस्यार व पुगराऊ घाटी से किसी व्यक्ति को टिकट नहीं दिया गया और ना ही इस क्षेत्र को दर्जा राज्यमंत्री बनाया गया। वे कहते है कि कांडा का विधायक 2007 से 2012 तक स्वास्थ्य मंत्री रहा किंतु आज तक कांडा अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं है। महिला चिकित्सक नहीं है।

कपकोट विधान सभा प्रदेश का सबसे पिछड़ा है। यहां शिक्षा, स्वास्थ्य एवम सड़को की हालत बहुत खराब है। दूरस्थ क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए लोग तरस रहे है। इस बार कांडा कमस्यार व डुग दोफड़ के लोग अपने बीच के व्यक्ति को विधान सभा में देखना चाहते है।

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