देहरादून। प्रदेश में शैक्षणिक संस्थाओं और स्वास्थ्य से जुड़े सस्थानों फार्मासिस्ट दिवस बड़े धूमधाम से मनाया गया। बल्लूपुर चौक स्थित सिनर्जी अस्पताल में भी फार्मासिस्ट दिवस मनाया गया। इस मौके अस्पताल के फार्मा विभाग के विभागध्यक्ष वीरेन्द्र राणा ने कहा कि फार्मासिस्टों ने कोविड’-19 के दौरान बहुत ही अहम भूमिका निभाई है। हमारे स्वास्थ्य के लिए जितने जरूरी डाक्टर है, उतने ही जरूरी फार्मासिस्ट है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में फार्मासिस्ट की भागीदारी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
इस दौरान फार्मासिस्ट संघ के मीडिया प्रभारी हरि प्रकाश सेनवाल ने कहा कि हेस्थ केयर सिस्टम में फार्मासिस्टस् पूरे विश्व में अहम योगदान दे रहा है। फार्मासिस्ट पूरे हेल्थ केयर सिस्टम की रीढ़ है। एक फार्मासिस्ट बीमार के लिए बेहतर से बेहतर देवा देता है। बीमार को समय पर दवा उपलब्ध हो जाए, इसी लक्ष्य को लेकर फार्मासिस्ट चलता है। लेकिन ताज्जुब है कि प्रदेश सरकार आईपीएचएस मानको की आड़ में फार्मासिस्टों के सरकारी पद खत्म करने में तुली है।
फार्मासिस्ट रेखा ने कहा कि कोरोना की शुरूआत में जब पूरा बाजार बिल्कुल सूना और बंद रहा था, उस समय भी फार्मासिस्ट एक वारियर्स की तरह मैदान में डटे थे। बीमार लोग स्वस्थ हो सके इसके लिए महामारी के भयंकर दौर में भी फार्मासिस्टों ने अपनी सेवाएं दी।
इस मौके पर फार्मासिस्ट शिवानी रावत, हरिप्रकाश, रेखा, संजय, सोनी, प्रीति, शुभम, सुनील, प्रीति, ललित आर्य मौजूद रहे।
क्यो मनाया जाता है फार्मासिस्ट दिवस
विश्व फार्मासिस्ट दिवस की शुरुआत की बात करें, तो इस दिवस को मनाने का प्रस्ताव 2009 में तुर्की के इस्तांबुल में हुई। International Pharmaceutical Federation (FIP Council) की बैठक में रखा गया था. इस दिन का उद्देश्य फार्मेसी फील्ड को प्रोत्साहित करने के लिए किया गया था. 25 सितंबर का दिन चुनने के पीछे की वजह यह थी कि इसी दिन 1912 में इंटरनेशनल फार्मास्युटिकल फेडरेशन की स्थापना हुई थी