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सुप्रसिद्ध लेखिका डॉली डबराल रचित काव्य संग्रह ‘अनुराग की परिकल्पना’ और कहानी संग्रह ‘मजनूं का टीला’ का किया गया लोकार्पण

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देहरादून। डॉली डबराल की प्रकाशित पुस्तकें ‘अनुराग की परिकल्पना’ काव्य संग्रह तथा ‘मजनूॅ का टीला’ कहानी संग्रह का लोकार्पण नगर निगम हॉल में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ सभी मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। कुमारी अनुुष्का चौहान ने भरतनाट्यम नृत्य विधा में सुंदर दुर्गा स्तुति प्रस्तुत की। कार्यक्रम में सभी का स्वागत करते हुए लेखिका डॉली डबराल ने अपने मन की बात सबसे कही।

मुख्य अतिथि सुनील उनियाल गामा उपस्थित रहे। उन्होंने कहा की डॉली डबराल अधिकतर नारी विमर्श पर या परिवार समाज में होने वाली नारी की समस्याओं पर ही कविता लिखती हैं। काव्य संग्रह में नारी की अस्मिता मजबूरी उसकी इच्छा उसके बारे में अनेक सवालों के साथ ‘आज की जानकी’ ‘झूठी प्रशंसा’ और आत्ममुग्धता पर भी उन्होंने सुंदर भावनाएं व्यक्त की है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही डॉ, सुधा रानी पांडे ने कहा कि डॉली डबराल सभी विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर के रूप में सुप्रसिद्ध लेखिका है। उनकी लेखन श्रृंखला की यह दसवीं कृति है। फिर नूतन समभाव लिखेंगे ,,,जैसी पंक्तियों से समाज के लिए स्वस्ति कामना की आकांक्षा में व्यस्त डॉली डबराल की कविताएं सत्यम शिवम सुंदरम की प्रतिभा समान है। शिमला से पधारी साहित्यकार डॉ, जयवंती डिमरी ने ‘संशय’ कहानी पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह समाज के हाशिए पर स्थित एक स्त्री के अनवरत संघर्ष की कहानी है। डॉ, नीतू बलूनी जो हरिद्वार से पधारी थी उनका कहना है कि ‘मजनूॅ का टीला एक लोक संवेदना परक सामाजिक कहानी संग्रह है। उनकी 13 कहानियों में युगबोध की झलक दिखाई पड़ती है।

महादेवी पीजी कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ अलका मोहन ने कहा कि यह कहानियां समाज के बदलते परिवेश से रूबरू करवाती हैं। सुप्रसिद्ध साहित्यकार असीम शुक्ल ने दोनों पुस्तकों के लिए कहा कि ‘डॉली डबराल के कथा संग्रह एवं काव्य संग्रह दोनों ही उन्हें मानव मूल्यों की कुशल चितेरी सिद्ध करते हैं। डॉली जी कथा साहित्य में उन मानदंडों को जीती रही हैं जो मानदंड पुष्पा मैत्रेयी, ममता कालिया, मनु भंडारी आदि ने जिए और निर्धारित किए।

‘अनुराग की परिकल्पना’ काव्य संग्रह बारे में गाजियाबाद से पधारी डॉक्टर रमा सिंह मुख्य वक्ता ने कहा कि, ‘अनुराग की परिकल्पना’ एक ऐसा गीत संग्रह है जिसमें ग़ज़लात्मक गीत, दोहात्मक गीत भी है। लेखिका का कवि मन वर्तमान में जीता है और उसी में डूबता उतरता है। सुप्रसिद्ध गीतकार शिव मोहन सिंह ने कहा ,तीव्र चेतना की मुखर कवयित्री डॉली डबराल वर्तमान के प्रति सजग और भविष्य के प्रति प्रासंगिकता की पक्षधर हैं । विभिन्न भावों भूमि पर अपने चिंतन को बड़ी निर्भीकता किंतु सहज तरीके से काव्यात्मक अभिव्यक्ति प्रदान करने में समर्थ है। डीएवी कॉलेज के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर राम विनय सिंह जी ने कहा कि डॉली जी के सरल और संयत श्रृंगार का सौंदर्य उनके काव्य संग्रह में अनेक रूपों में दिखाई पड़ता है। जीवन के विविध रंगों से सजी सुंदर रचनाएं कवयित्री डॉली डबराल की लोकोन्वेषी दृष्टि और हृदय अन्वेषी सृष्टि से समादर दिलाने वाली हैं।

रायबरेली से पधारी प्रमुख वक्ता डॉ, चंपा श्रीवास्तव जी ने कहा की, ‘मजनूॅ का टीला’ कहानी संग्रह की प्रत्येक कहानी सामाजिक विषमताओं से जूझती,कहीं दर्द के अथाह सागर में डूबती तथा कहीं झंझावातों से टकराती हुई स्वतंत्र निर्णय लेती जन-जन तक पहुंचाती कहानियां है। जिनमें लेखिका की विलक्षण वाकधारा ,अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा लेखन शैली की विशेषता हिंदी साहित्य का सौभाग्य है।

कार्यक्रम में सारस्वत अतिथि के रुप में पधारी फारेस्ट सर्वे विभाग की डिप्टी डायरेक्टर डॉ० मीरा अय्यर आईएफएस ने डॉली डबराल की सभी पुस्तकों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह जो भी लिखती हैं बहुत सरल और बहुत सहज रूप से लिखती हैं जो आसानी से समाज तक पहुंचाया जा सकता है उनकी कहानियों और कविताओं में अंत जानने की एक ऐसी उत्सुकता बनी रहती की पूरी कहानी और कविता को पढ़े बिना चौन नहीं आता।

इसी के साथ डॉक्टर तूलिका चंद्र घिल्डियाल महादेवी कन्या पीजी कॉलेज की अर्थशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष ने कहा की वास्तव में भारतीय स्त्री के पैसों को जोड़कर घर चलाने की कला को डॉली डबराल ने ‘उपहार’ कहानी के माध्यम से बखूबी दिखाया है। डॉ.अर्चना डिमरी ने पुस्तक के शीर्षक नाम की कहानी में इतिहास के बारे में लिखा डॉली डबराल ने जिस प्रकार बहुत ही रोचक इतिहास के माध्यम से कहानी को आगे बढ़ाया है वह वास्तव में प्रशंसनीय है। स्त्री के काव्य-प्रेम पर टिप्पणी करती कहानी श्पत्नी का काव्य प्रेम पर मोहतरमा सीमा शफ़क़ ने इस व्यंग्य कथा पर बहुत सुंदर विचार रखे। और श्रोताओं को खूब गुदगुदाया भी और चेताया भी।

कार्यक्रम में देहरादून उत्तराखंड में जन्मे सुप्रसिद्ध शायर डॉक्टर शेरजंग गर्ग स्मृृति सम्मान से डॉ विद्या सिंह जी को, डॉ राम विनय सिंह एवं असीम शुुक्ल को उनके हिन्दी साहित्य लेेखन के लिए सम्मानित किया गया। पुस्तक के मुखपृष्ठ के लिए चित्रकार कहकशां को एवं अनुराग की परिकल्पना के मुखपृष्ठ के लिए शशि भूषण बडोनी को भी सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में डा० विमलेश डिमरी, डा० राम विनय, डा० जितेन्द्र सिन्हा, रमाकांत बैंजवाल, मुकेश नौटियाल, नवोदित प्रवाह के संपादक सुनील त्रिवेदी एवं रजनीश त्रिवेदी के अलावा भारत विकास परिषद के बहुत से वरिष्ठ सदस्य, कई स्कूलों की प्रिंसिपल एवं गणमान्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री बीना बेंजवाल ने बहुत ही व्यवस्थित और सुंदर भाषा से किया।

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