देहरादून। कांग्रेस नेता और पूर्व पीसीसी अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पार्टी में खुद की उपेक्षा से खासे आहत हैं। पार्टी के कार्यक्रमों से उनकी दूरी इस बात की तस्दीक करती है। मीडिया में उनके बीजेपी ज्वाइन करने खबरें भी जब-तब उड़ती रही हैं। किशोर उपाध्याय कांग्रेस के भीतर अपनी लगातर उपेक्षा को सोशल मीडिया के जरिये जब‘-तब जाहिर भी करते रहे हैं। अभी हाल ही उन्होंने कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत सम्बोधित सोशल मीडिया में पत्र जारी किया। जिसमें उन्होंने कहा कि 2017 में एक षडयंत्र के तहत सहसपुर से उन्हें चुनाव मैदान में उतारा गया। यहीं नहीं उन्होंने 2012 में टिहरी की हार के लिए कांग्रेस के एक बड़े नेता को जिम्मेदार ठहराया।
वहीं हरीश रावत भी उनके इस पत्र का जवाब भी सोशल मीडिया के जरिये दे चुके हैं। और उन्होंने कहा कि 2017 में सहसपुर से चुनाव लड़ना खुद किशोर उपाध्याय का फैसला था।
अब पार्टी के नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री शूरवीर सजवाण भी इसमें कूद पड़े हैं उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिये पूर्व पीसीसी अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को नसीहत दे डाली।
शूरवीर सिंह सजवाण ने मंगलवार को फेसबुक में लिखा कि ’मैं पार्टी के नेताओं से आग्रह करता हूँ कि सार्वजनिक मंच पर कुछ भी कहने से पहले उस पर गहन विचार करें और अपनी हार का ठीकरा दूसरों पर थोपने से पहले यह समझ लें कि सच्चाई किसी से भी छुपी नहीं है। अपने खिलाफ “शाजिश” और “षड़यंत्र” जैसे शब्दों का प्रयोग करके आप अपनी राजनीति में कुछ भी हासिल नहीं करेंगे, यह सब कहकर आप अपने खुद के लिए निर्णयों की जिम्मेदारी और जवाबदेही से भाग रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष को यह सब शोभा नहीं देता।
ये नसीहत किशोर उपाध्याय को नागवार गुजरी तो लगे हाथ उन्होंने शूरवीर सिंह सजवाण को आईना दिखा दिया। इसके जवाब में कांग्रेस नेता किशोर उपाध्याय ने शूरवीर सजवाण को सोशल मीडिया के जरिये लिखा है ‘सम्भवतः मेरे बड़े भाई 1985 भूल गये, मेरी माँ ने कई बार पीएमओ हाउस फोन किया कि “यू छोरा छापर यख लफड़्याड़ लग्यूं, हमारा मेल्यूट मां, मरी जालू, ये कु टिकट कर दी”।’
अब कांग्रेस नेता शूरवीर सजवाण के लिए किशोर उपाध्याय को नसीहत देना ‘आ बैल मुझे मार’ जैसी स्थिति हो गई है। अब वे किशोर के इस बयान को हास्यास्पद बता रहे हैं। और फेसबुक पेज लिखते हुए कहते हैं कि ‘मेरे दादाजी और ताऊजी स्वन्त्रता संग्राम सेनानी रहे हैं व मेरे ससुर साहब ’अशोक चक्र’ से सम्मानित थे।
आजादी के ज़माने से मेरे घर में ’पट्टी स्तर’का कांग्रेस का कार्यालय होता था।
मेरा नाता-कांग्रेस के चुनाव चिह्न ‘बैलों की जोड़ी’ से लेकर ‘गाय-बछिया’ व अब ‘हाथ का पंजा’ तक लगातार बन हुआ है।
रुवर्ष-1962 के चुनाव के दौरान जब मेरी उम्र रुमात्र-12 वर्ष की थी, विद्यार्थियों की टोली में काम करते हुए मुझे अल्लाहाबाद(प्रयागराज) से आए हुए पर्यवेक्षकों ने मेरे जुनून को देखते हुए ’इंदिरा जी की वानर सेना’ का 8 गांवों का यूथ संयोजक बनाया।
तब से लेकर 1967, 69, 71, 74, 77 के चुनाव में एनएसयुआई,युथ-कांग्रेस व सेवादल के विभिन्न पदों पर रहते हुए बढ़ चढ़कर पार्टी का काम किया।
उसी का नतीजा था कि 1980 के चुनाव में ही मेरा नाम पार्टी विधानसभा पैनल में तय हो गया था किन्तु ऐन वक्त पर वह टिकट सनद विक्रम शाह जी को दिया गया। जिसके बाद उनकी निष्क्रियता व मेरी सक्रियता के कारण 1985 में श्री कमलनाथ जी,श्री वीर बहादुर सिंह जी एवं श्री चंद्रमोहन सिंह नेगी जी के आशीर्वाद से टिकट प्राप्त होने के बाद इतने विशाल विधानसभा क्षेत्र रुदेवप्रयाग की महान-जनता ने मझे 55 प्रतिशत से अधिक वोटों देकर अपना यूवा विधायक चुनकर सेवा करने का मौका दिया व मैंने उस दौरान विकास के अनेक कीर्तिमान स्थापित किए जो सर्वविधित है।