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सीएम से भी नहीं मिला बेरोजगार फार्मासिस्टों को कोई ठोस आश्वासन, नाराज फार्मासिस्टों ने जमकर नारेबाजी की, पुलिस को दी गिरफ्तारियां

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देहरादून। अपनी 14 सूत्री मांगों को लेकर प्रशिक्षित बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्ट महासंघ ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास कूच किया। लेकिन सीएम की ओर से बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्टों को ठोस आश्वासन नहीं मिला। जिससे नाराज बेरोजगार फार्मासिस्टों ने वहां जमकर नारेबाजी की और पुलिस को गिरफ्तारियां दी।

गौरतलब है कि बेरोजगार फार्मासिस्ट पिछले 19 अगस्त से फार्मासिस्टों की भर्ती और आईपीएचएस मानकों में शिथिलता देने समेत 14 सूत्री मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। मंगलवार को बेरोजगार फार्मासिस्टों ने अपनी मांगों को लेकर विधानसभा में भी प्रदर्शन किया। इससे पहले सोमवार को बेरोजगार फार्मासिस्टों ने प्रशिक्षित बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्ट महासंघ की अगुवाई में सचिवालय में प्रदर्शन किया लेकिन शासन की उपेक्षा से नाराज बेरोजगारों ने सचिवालय में जमकर नारेबाजी की और गिरफ्तारियां दी। जिसके बाद सूबे के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने सोमवार देर शाम मीटिंग के लिए बुलाया लेकिन स्वास्थ्य मंत्री की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल सका। जिसके बाद मंगलवार को भारी तादाद में बेरोजगार फार्मासिस्टों ने विधान सभा का घेराव भी किया।

महासंघ के अध्यक्ष महादेव गौड़ ने बताया कि जब तक सरकार की ओर से उनकी मांगों को लेकर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलता तब तक बेरोजगार फार्मासिस्टों का धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार उनके शांतिपूर्वक आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही है। उन्होंने एकता बिहार धरना स्थल को दूसरी जगह शिफ्ट करने की सरकार से भी मांग की। गौरतलब है मंगलवार देर शाम भारी बारिश के चलते धरना स्थल पर बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गये थे जिसके चलते वहां धरना दे रहे बेरोजगार फार्मासिस्टों को पूरा सामान बह गया। वहीं धरना स्थल पर कंरट फैलने से बेरोजगार फार्मासिस्ट भी झुलस गये थे जिन्हें बाद में उपचार के लिए दून अस्पताल पहुंचाया गया।

बताते चले कि इससे पहले बेरोजगार फार्मासिस्टों ने स्वास्थ्य महानिदेशालय पर भी प्रदर्शन किया। बीते रविवार को आईपीएचएस मानकों में शिथिलता प्रदान करने और दूसरी 14 सूत्री मांगों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत के कैम्प कार्यालय पर भी प्रदर्शन किया।

महासंघ अध्यक्ष महादेव गौड़ ने कहा कि सरकार आईपीएचएस मानको का हवाला देकर को फार्मासिस्ट के रिक्त पदों पर भर्ती से साफ इनकार कर रही है। जिससे बेरोजगार फार्मासिस्ट में रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि आज दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में जहां चिकित्सक जाने से कतराते हैं वहां फार्मासिस्ट महत्पूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। बावजूद इसके फार्मासिस्ट संवर्ग की अनदेखी की जा रही है।

उन्होंने वर्ष 2005-06 में उपकेन्द्रो पर सृजित फार्मासिस्ट के 536 पर आइपीएचएस मानकों में शिथिलता प्रदान करते हुए यथावत रखने, रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती प्रक्रिया शुरू करने 600 उपकेन्द्रों पर संविदा के आधार पर की जा रही भर्ती के बजाय नियमित भर्ती करने, 1368 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों पर फार्मासिस्ट के पद सृजित करने, राजकीय मेडिकल कालेजों में फार्मासिस्ट संवर्ग, पशु सेवा केन्द्रों एवं पशु चिकित्सा फार्मासिस्ट के बजाय आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से दवा वितरण के प्रस्ताव पर रोक लगाने, सभी मेडिकल स्टोर में फार्मासिस्ट की अनिवार्यता, कारागार विभाग में फार्मासिस्ट की लिखित परीक्षा निरस्त करने, वन विभाग में फार्मासिस्ट के पदो का सृजन, प्रस्तावित भेषज सेवा नियमावली में संशोधन, फार्मासिस्ट संवर्ग का पुनगर्ठन की मांग की।

इस दौरान लववीर सिंह चौहान, हरि प्रकाश सेनवाल, सुधीर रावत, शैलेन्द्र नौटियाल,रविन्द्र सिंह, विनोद धीमान, रंजन, विक्रम कुंवर, इंदु डंगवाल, अमजद खान समेत बड़ी तादाद में बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्ट मौजूद रहे।

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