नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने शिक्षा राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे, डा० बी० वी० आर० मोहन रेड्डी, चेयरपर्सन, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, आईआईटी हैदराबाद), प्रो० बी०एस० मूर्ति, निदेशक आईआईटी हैदराबाद) और भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय विभाग तथा आईआईटी हैदराबाद के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में, भारत के ऑटोनोमस नेविगेशन सिस्टम (स्थलीय और हवाई) के लिए प्रथम परीक्षण स्थल ‘तिहान-आईआईटी हैदराबाद’ की वर्चुअल आधारशिला रखी।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने राष्ट्रीय अंतर-विषयी साइबर-फिजिकल सिस्टम (एनएम-आईसीपीएस) मिशन के तहत ऑटोनोमस नेविगेशन और डेटा अधिग्रहण प्रणाली (यूएवी, आरओवीएस आदि) पर एक प्रौद्योगिकी नवाचार केन्द्र स्थापित करने हेतु आईआईटी हैदराबाद के लिए 1
35 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। आईआईटी हैदराबाद में मानव रहित वायुयानों तथा दूरस्थ नियंत्रित वाहनों के लिए ऑटोनोमस नेविगेशन सिस्टम पर आधारित प्रौद्योगिकी नवाचार केन्द्र को ‘तिहान फाउंडेशन’ के रूप में जाना जाता है। इसे जून 2020 में संस्थान द्वारा खंड-8 कंपनी के रूप में मान्यता दी गई है।
श्री पोखरियाल ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इस प्रगति पर प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने कहा कि आई०आई०टी० हैदराबाद में स्थापित तिहान फाउंडेशन एक बहु-विभागीय पहल है, जिसमें प्रतिष्ठित संस्थानों और उद्योग से समर्थन से विद्युत, कंप्यूटर विज्ञान, मैकेनिकल और एयरोस्पेस, सिविल, गणित और डिजाइन के अनुसंधानकर्ता शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत, स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया की दिशा में एक बेहतरीन कदम है। उन्होंने कहा कि ‘‘ऑटोनोमस नेविगेशन और डेटा अधिग्रहण प्रणाली के विशिष्ट डोमेन क्षेत्र में अंतर-विषयी प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास पर आवश्यकतानुसार ध्यान देने के साथ, यह केंद्र स्थलीय और हवाई अनुप्रयोगों के लिए मानव रहित ऑटोनोमस वाहनों से संबंधित विभिन्न चुनौतियों के तत्काल समाधान पर जोर देता है।
शिक्षा राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे ने आई०आई०टी० हैदराबाद टीम की इस उल्लेखनीय पहल की सराहना की। ई०आई०टी० हैदराबाद में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. बी. आर. मोहन रेड्डी ने इस विशाल परियोजना के लिए आई०आई०टी० हैदराबाद संकाय की कड़ी मेहनत की प्रशंसा की है। तिहान टीम को बधाई देते हुए, आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रो. बी.एस. मूर्ति ने कहा, “वास्तविक जीवन के परिदृश्यों में अपने निष्पादन को दर्शाना मानव रहित और जुड़े वाहनों के निर्माण की एक प्रमुख आवश्यकता को उपभोक्ता समाज के द्वारा अधिक स्वीकार्य बनाता है। हालांकि, यह खतरनाक हो सकता है। विशेष रूप से सुरक्षा के लिहाज से, मानवरहित और जुड़े वाहनों के लिए प्रायोगिक परीक्षण पटरियों के रूप में परिचालन सड़क सुविधाओं का सीधे उपयोग करना खतरनाक हो सकता है। सामान्य तौर पर, यूएवी और यूजीवी परीक्षण दोनों में बाधाओं के साथ क्रैश और टकराव शामिल हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप महंगा सेंसर और अन्य घटकों को नुकसान होता है। इसलिए इसके इस्तेमाल से पहले एक सुरक्षित, नियंत्रित वातावरण में विकसित नई तकनीकों का परीक्षण करना महत्वपूर्ण है।
इस इकाई के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, तिहान के परियोजना निदेशक एवं विद्युत इंजीनियरिंग विभाग की प्रो० डा० पी० राजलक्ष्मी ने कहा, “दुनिया भर में कई संगठनों ने एक नियंत्रित वातावरण में विभिन्न परिदृश्यों की नकल करने, वास्तविक मामलों में अक्सर होने वाले चरम मामलों से लेकर वास्तविक जीवन के यातायात संचालन तक मानव रहित और जुड़े वाहनों के कामकाज की जांच करने के लिए परीक्षण स्थल विकसित किए हैं। वर्तमान में, वाहनों की ऑटोनोमस नेविगेशन का मूल्यांकन करने के लिए भारत में ऐसी कोई परीक्षण सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसलिए, आईआईटी हैदराबाद के सुंदर परिसर के एक हिस्से में कनेक्टेड ऑटोनोमस व्हीकल्स को समर्पित करके पूरी तरह कार्यात्मक और अनुकरणीय परीक्षण स्थल की सुविधा विकसित करते हुए इस कमी को पूरा करने की कल्पना की गई है। केन्द्र के मुख्य क्षेत्रों में इंटेलिजेंट, ऑटोनॉमस ट्रांसपोर्टेशन एंड सिस्टम, कृषि, सर्विलांस और पर्यावरण एवं आधारभूत निगरानी शामिल हैं।”
आई०आई०टी० हैदराबाद परिसर में पहले ही कुल 2 एकड़ भूमि आवंटित की जा चुकी है और चरणबद्ध रूप से सुविधाओं की योजना बनाई गई है। सभी स्मार्ट खंभों को संचार प्रदान करने वाली तकनीक से लैस किया गया है, जबकि कुछ खंभों को बारिश का दृश्य दिखाने के लिए स्प्रिंकलर से लैस किया गया है। विकसित परीक्षण स्थल सभी उद्योगों, ऑटोनोमस नेविगेशन के व्यापक क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास के लिए कार्यरत संचालन करने वाले अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं, शिक्षाविदों द्वारा उपयोग के लिए उपलब्ध होगा।
