देहरादून। चुनावी मौसम में नेतागिरी और नेतावाणी खूब हो रही है। वायदों, घोषणाओं और गारंटियों का दौर चल रहा है। फिलहाल अभी तक किसी भी सियासी दल ने टिकटों का बंटवारा नहीं किया है। लेकिन संभावित उम्मीदवार अंदरखाने तैयारियों में जुटे हैं।
पौड़ी जिले की यमकेश्वर विधान सभा की बात करें तो यहां का हाल भी ऐसा ही है। सियासी जमीन पर शह-मात के दांवपेच और गणित बिठाने की तैयारियों ने यहां सर्द मौसम में गरमाहट पैदा कर दी है। इस सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच में ही है। लिहाजा दोनों ही राजनीतिक दल यहां जोर-शोर से चुनावी तैयारियों में जुटे हैं।
यमकेश्वर विधानसभा सीट दुगड्डा, द्वारीखाल और यमकेश्वर ब्लाक के दायरे को कवर करती है। यमकेश्वर सीट पर हमेशा से भाजपा का ही दबदबा रहा है, कांग्रेस यहां से अभी तक जीत दर्ज नहीं कर पाई है। मौजूदा समय में यहां ऋतु खण्डूड़ी विधायक हैं। साल 2017 में कांग्रेस नेता निर्दलीय उम्मीदवार रेणु विष्ट को शिकस्त देकर शिकस्त देकर विधानसभा पहुंची थी। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार शैलेन्द्र रावत को तीसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा।
अभी भाजपा-कांग्रेस ने टिकटों का ऐलान नहीं किया है। लिहाजा उम्मीदवारों की लम्बी-चैड़ी फेहरिस्त है। कांग्रेस की बात करें तो शैलेन्द्र रावत यहां क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। हरीश रावत कैम्प के माने जाने वाले शैलेन्द्र बीते 5 साल लगातार क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बनाये रखे हैं। टिकट पाने में इनका सबसे बड़ा पक्ष यह है कि वह 2017 में इसी सीट पर मजबूती के साथ लड़े हैं और साथ ही यमकेश्वर के अलावा कोटद्वार सीट पर भी शैलेन्द्र बड़ा दखल रखते है।
वहीं कांग्रेस नेता महेंद्र सिंह राणा की आक्रामक शैली उनके पक्ष को मजबूत करती है। वे पिछले दो सालों से यमकेश्वर में बतौर प्रत्याशी जबरदस्त प्रचार अभियान चलाए हुए हैं। द्वारीखाल की कमान संभालते ही ब्लॉक मुख्यालय की तस्वीर बदलने को फेस बनाकर महेंद्र ने वहां की जनता के बीच अपनी काबिलियत दिखाने का सफल प्रयास किया है। वहीं युवक व महिला मंगल दलों के साथ स्कूली बच्चों को लगातार संसाधन मुहैय्या कराने की रणनीति के चलते बच्चे बच्चे पर महेंद्र का नाम निश्चित रूप से पंहुच चुका है।
वही भाजपा की बात करें तो यहां भी टिकट के लिए दावेदारों की लाइन है। विधायक ऋतु खण्डूड़ी लगातार क्षेत्र में जनसम्पर्क कर रही हैं। संभव को हां और असंभव को ना कहने की उनकी आदत के चलते हालांकि क्षेत्र में नाराजगी की शिकार जरूर हुई हैं, लेकिन उनके पिता छवि उनके लिए हमेशा मददगार साबित हुई है। ऋतु खण्डूडी का दावा है कि उन्होंने जनता से जो वायदे किये थे वे पूरा करने में वे कायमाब हुई है।
यमकेश्वर की बात करें तो यहां पर चार बार के विधानसभा चुनावों में भाजपा का दबदबा रहा है। ये सीट एक तरह से माना जाय तो भाजपा की परम्परागत सीट हैं। जहां कांग्रेस के शैलेन्द्र व महेंद्र में से किसी एक को टिकट मिलने की दशा में यदि कोई दूसरा बागी होता है तो 2017 के परिणाम की ही पुनरावृत्ति तय है किंतु यदि शैलेन्द्र और महेंद्र एक जुट कांग्रेस के लिए काम करते हैं तो ऋतु खण्डूड़ी को अपनी विधायकी बचाने के लिए भगीरथ प्रयास करने होंगे।